Akhil Bharatiya General Assembly Of Vidya Bharati-Bengaluru

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Akhil Bharatiya General Assembly Of Vidya Bharati Bengaluru
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Vidya Bharati’s goal is to awaken the spiritual values through Education” — Dr Krishna Gopal, Sah-Sarkaryavah...

While completing the 75 years of foundation, Vidya Bharati, an organisation dedicated to providing education with Indic values, takes a stock of organisational work and outcome in the General Body meeting held at Bengaluru

विद्या भारती की अखिल भारतीय साधारण सभा

मा. डॉ. कृष्णगोपाल सह- सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विशेष सान्निध्य
मातृभाषा में शिक्षा सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन पश्चिम की सुनामी का प्रहार हमारे ऊपर भी है। फिर भी हमारा सुविचारित मत है कि हमारे विद्यालय मातृभाषा में ही चलें। अंग्रेज़ी के अभ्यास की कमी को दूर करते हुए अपनी भाषा का माध्यम ही चुनना है। शिक्षण की गुणवत्ता व भाषा की गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है।

बेंगलुरु | विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की अखिल भारतीय साधारण सभा बैठक चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से तृतीया विक्रमी संवत 2080, दिनांक 7 से 9 अप्रैल 2023 को जनसेवा विद्याकेन्द्र, चन्नेनहल्लि बेंगलुरु में सम्पन्न हुई। देशभर से 284 प्रतिनिधियों ने इस साधारण सभा में भाग लिया। यह बैठक प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। देशभर में कार्य की स्थिति, कार्य विस्तार, शिक्षा की गुणवत्ता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, पूर्व छात्रों की सक्रियता आदि विषयों पर इस बैठक में प्रमुखता से चर्चा की गई।

प्रस्ताविक उद्बोधन में अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री डी रामकृष्णराव ने कहा कि समाज में विद्या भारती के अनुकूल वातावरण बन रहा है। विद्या भारती के कार्यकर्त्ताओं के लिए अपनी सहभागिता एवं सक्रियता से कार्य करने के अनेक अच्छे अवसर सामने हैं। शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की भूमिका स्पष्ट होती जा रही है। NEP के अनुसार आचार्यों के प्रशिक्षण विद्या भारती ने किए है। किंतु सघन व सतत प्रशिक्षण की आवश्यकता है। विद्या भारती के पूर्व छात्र 65 देशों में रह रहे हैं। उच्च शिक्षा में भी विद्या भारती की गति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हमें अपने कार्य का दायरा बढाना होगा किंतु मूल सिद्धांत को कभी नहीं छोड़ेंगे। आवश्यकता के अनुसार तैयार होना व भविष्य के बारे में भी विचार करना होगा। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के नाते उपस्थित रहे प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. एम.के. श्रीधर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्य में 2017 से ही विद्या भारती का महत्वपूर्ण योगदान हो रहा है। डॉ. कस्तूरीरंगन् ने क्रियान्वयन की दृष्टि से विद्या भारती से अपेक्षा की है। “We can make policies by words and letter but implementation can be done only by commitment.” यह अनुष्ठान विद्या भारती अपने नेटवर्क व रिसोर्स से कर सकती है। उन्होंने बताया कि अप्रैल अंत तक सभी स्तरों के लिए NCF तैयार होने की संभावना है और फरवरी 2024 तक सभी 22 भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के तैयार होने की योजना पर कार्य हो रहा है।

साधारण सभा बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल का विशेष सान्निध्य प्राप्त हुआ –

विद्या भारती के कार्य को लगभग 75 वर्ष होने जा रहे हैं। इस लम्बी यात्रा में बहुत कुछ देखा है, अनुभव किया है। बड़े-बड़े शिक्षाविदों के साथ परामर्श किये हैं। विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं की रिपोर्ट पर चर्चाएँ की हैं। एक गैर सरकारी संगठन होने के बावजूद विविधताओं वाले देश में हमारी प्रगति उल्लेखनीय है।

महानगरों, ग्रामों तथा जनजाति क्षेत्रों की बहुविविधताओं के होते हुए भी हमने अपना कार्य खड़ा किया है। 15-16 भाषाओं में हमारे विद्यालय चलते हैं। राज्यों की मातृभाषा के साथ जुड़कर अनेक कार्य किये हैं।

आज समाज के सभी क्षेत्रों में हमारे विद्यार्थी हैं। लेकिन देश बहुत बड़ा है। इस तुलना में हमारा काम अभी भी बहुत बड़ा नहीं है। 130 करोड़ के देश में 35 लाख बच्चे कोई बड़ा अंक नहीं है। इसलिए अब आगे बढ़ना है। हमें क्या छोड़ना है, क्या जोड़ना है, उचित-अनुचित का विचार करके करना होगा। अपने विश्लेषण के आधार पर यह सुनिश्चित करना होगा। यह चिंतन ऊपर से लेकर नीचे तक हर स्तर पर करना होगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति समयानुकूल नवोन्मेषों एवं वन मूल्यों से युक्त है जिसका क्रियान्वयन हमको पूर्ण तैयारी एवं मनोयोग से करना है। देश में अप्रत्याशित रूप से परिवर्तन हो रहे हैं। देश की ग्रोथ रेट आज 2.5 पर आ गयी है। घरों में बच्चे कम हैं। इसलिए बच्चों की शिक्षा अच्छी हो यह विचार NEP में परिलक्षित हो रहा है। सरकार व अभिभावक सभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में सोचने लगे हैं। विद्या भारती के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा में हमको क्या करना व क्या नहीं करना? कैसे करना? यह विचार करने की आवश्यकता है।

विद्या भारती के पूर्व छात्रों के पोर्टल पर 9 लाख का डेटा संकलित हुआ है। अनुमान से उनकी संख्या लगभग 40 लाख होगी। हमें अपने पूर्व छात्रों में ‘‘मेरा विद्यालय’’ यह भाव जगाना है। तैत्तिरीय उपनिषद् की ‘शिक्षावल्ली’ का यह मन्त्र दीक्षा मन्त्र का कार्य कर सकेगा – ‘‘सत्यं वद। धर्मं चर। स्वाध्यायान्मा प्रमदः। आचार्य देवो भव। मातृ देवो भव। पितृ देवो भव। अतिथि देवो भव। यानि यानि अस्माकम् सुचरितानि, तानि सेवितव्यानि। नो इतराणि। श्रद्धया देयम्। श्रिया देयम्। हृया देयम्। अश्रद्धया न देयम्।’’

डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में अनेक संकटों में एक संकट भाषा के माध्यम का है। दुनिया के सभी श्रेष्ठ शिक्षाविदों का मानना है कि मातृभाषा में शिक्षा सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन पश्चिम की सुनामी का प्रहार हमारे ऊपर भी है। फिर भी हमारा सुविचारित मत है कि हमारे विद्यालय मातृभाषा में ही चलें। अंग्रेज़ी के अभ्यास की कमी को दूर करते हुए अपनी भाषा का माध्यम ही चुनना है। शिक्षण की गुणवत्ता व भाषा की गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है।

साधारण सभा के समापन सत्र में डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि विश्व परिदृश्य में निरंतर परिवर्तन हो रहा है। इस परिवर्तन के कारण नई चुनौतियाँ हम सबके सामने है। भौतिक जगत के प्रभाव के कारण विश्व में सभ्यात्मक परिवर्तन हुआ है। सूचनाओं के एकत्रीकरण की ओर विश्व बढ़ा है, परन्तु मानव निर्माण की समग्र दृष्टि का अभाव हो गया है। भारत की आत्मा भिन्न है। भारत ने मन व हृदय की गहराई बढाने वाला ज्ञान विश्व को दिया है। नवीन पीढ़ी में आध्यात्मिक भाव जगे, उन्हें लौकिक शिक्षा मिले, ये विद्या भारती का लक्ष्य है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति व विद्या भारती की अनुभव सिद्ध बातों का समन्वय करते हुए अपने लक्ष्य की ओर हमें बढ़ना है।

तीन दिन चली इस साधारण सभा बैठक में विद्या भारती के अंतर्गत चलने वाले विभिन्न विषयों यथा – खेलकूद, विज्ञान, गणित, सेवा शिक्षा, जनजाति क्षेत्र की शिक्षा, पूर्वछात्र परिषद, संस्कृति बोध परियोजना, शिशुवाटिका, मानक परिषद आदि का वृत्त भी प्रस्तुत किया गया। भौगोलिक विस्तार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार, शिक्षा विमर्श, वित्त प्रबंधन पर विशेष चर्चा की गई।

तीन दिन चली इस साधारण सभा बैठक में विद्या भारती के अंतर्गत चलने वाले विभिन्न विषयों यथा – खेलकूद, विज्ञान, गणित, सेवा शिक्षा, जनजाति क्षेत्र की शिक्षा, पूर्वछात्र परिषद, संस्कृति बोध परियोजना, शिशुवाटिका, मानक परिषद आदि

का वृत्त भी प्रस्तुत किया गया। भौगोलिक विस्तार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार, शिक्षा विमर्श, वित्त प्रबंधन पर विशेष चर्चा की गई।

साधारण सभा बैठक में समाज परिवर्तन की दृष्टि से चलाए जाने वाले विशेष प्रकल्पों की प्रस्तुति वहां के कार्यकर्ताओं ने की। इनमें झँस्कार वेली लद्दाख, तेपला जिला अम्बाला हरियाणा, चंद्रपुर, गुवाहाटी (असम), थुआमूल, कालाहांडी (उड़ीसा) जनजाति क्षेत्र, कोठारा परियोजना बांसवाड़ा (राजस्थान), वैदिक विद्यापीठम चिचोट हरदा (मध्य प्रदेश), पांडातराई (छत्तीसगढ़) का पीपीटी द्वारा प्रस्तुतिकरण किया गया।

कार्य की वर्तमान स्थिति

  • कार्ययुक्त जिले – 658
  • औपचारिक विद्यालय – 12065
  • एकल विद्यालय – 3941
  • संस्कार केंद्र – 4093
  • कुल शिक्षण केंद्र – 19597
  • महाविद्यालय – 53

विशेष आकर्षण

  • विद्यालय के विद्यार्थियों, आचार्यों व अभिभावक माताओं द्वारा लोक कला आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रस्तुतिकरण।
  • अभिभावक माताओं द्वारा मातृहस्ते भोजन।
  • विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान की पुस्तकों व चाणक्य विश्वविद्यालय बेंगलुरु के स्टॉल पर दिखा उत्साह।
  • विशाल परिसर में सुव्यवस्थित रहा आयोजन।

पांच पुस्तकों का हुआ विमोचन –

1. श्री स्वतंत्रते, लेखक व संपादक : रवि कुमार

2. ज्ञान की बात ३, लेखक : वासुदेव प्रजापति

3. आचार्य ब्रह्मगुप्त, लेखक : वासुदेव प्रजापति

4. आर्ष साहित्य का संक्षिप्त परिचय, सम्पादक : वासुदेव प्रजापति

5. दादा-दादी की कहानियां, लेखिका : मंजरी शुक्ला

(प्रकाशक व प्राप्ति स्थान : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान)

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