Akhil Bharatiya Magazine Editor Workshop

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से सम्बद्ध सैक्टर - 12, नोएडा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर  में दो दिवसीय (18 व 19 मार्च ) “अखिल भारतीय पत्रिका सम्पादक कार्यशाला” का  दिनांक 19 मार्च 2023 को समापन हुआ । 

           राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख आलोक कुमार ने कहा कि शिक्षा में विमर्श स्थापित करने के लिए निरंतर और सामूहिक प्रयास जरूरी हैं ।  इसके लिए पत्र- पत्रिकाएं तो प्रमुख हैं ही साथ ही तकनीक का सहयोग भी लेना होगा ।  वर्तमान युग में सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया अपना विमर्श स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है ।  हमारा विमर्श सबके हित में हमारा हित है, सबके कल्याण में हमारा कल्याण है और सभी समान हैं इस भाव को आगे बढ़ाता है । हमें आम लोगों के बीच यही विमर्श स्थापित करना है।  उन्होंने पत्रिका सम्पादकों का आह्वान किया कि ध्यान रखें जो सामग्री प्रस्तुत की जा रही है उससे पाठकों के मन में देश के प्रति गौरव और विश्व के कल्याण की भावना का विकास हो ।  आज देश में सोशल मीडिया के माध्यम से एक ऐसे विमर्श की स्थापना की कोशिश की जा रही है जिसमें भारत की संस्कृति, परंपराओं, अर्थव्यवस्था को कमतर साबित करने का प्रयास किया जा रहा है आज देश में नए विवाद पैदा किए जा रहे हैं, जिससे भारत की छवि दुनिया में खराब हो सके । 

          समाज का एक वर्ग आज भारत की आत्मनिर्भरता, औद्योगिक विकास और सांस्कृतिक गौरव को सहन नहीं कर पा रहा है, इसलिए देश की संस्कृति और परंपराओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं ।  इन सबका मुकाबला सही तथ्यों के साथ तकनीक का प्रयोग करते हुए रुचिकर सामग्री के माध्यम से किया जा सकता है ।  

आलोक जी ने कहा कि सम्पादक पत्रिका की गुणवत्ता बढ़ाएं और सकारात्मक सामग्री के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों के बीच पहुंचने का प्रयास करें ।  सम्पादकों को चाहिए कि समाज में और विशेष रूप से शिक्षा जगत में शिक्षा के पंचप्राण स्थापित करें ।  अंग्रेजों ने बहुत चतुरता से अपनी संस्कृति और भाषा को श्रेष्ठ साबित करने के लिए भारत की शिक्षा प्रणाली की अवहेलना की और भारतीय भाषाओं को कमतर बताया ।  हम सभी को मिलकर इस विमर्श को बदलना है और भारतीय शिक्षा के दर्शन को पुनः स्थापित करना है । 

             इससे पूर्व हिंदुस्तान समाचार एजेंसी के संपादक जितेंद्र तिवारी ने पत्रिका संपादकों से कहा कि संपादकीय कौशल के माध्यम से सामग्री को सरल और पठनीय बनाएं ।  अपने विषय को सही ढंग से समझाएं तथ्यों को ठीक प्रकार से रखें, व्याकरण की अशुद्धियां दूर करें, एक वाक्य में शब्दों की पुनरावृति ना करें, छोटे वाक्य बनाएं और किसी तथ्य पर संदेह हो उसे हटा दें ।  पत्रिका इंट्रो और शीर्षक ऐसा हो जिसासे पाठक को पढ़ने को विवश हो जाए उन्होंने संपादक के सिद्धांतों का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि सामग्री में तथ्यात्मकता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता और संतुलन होना चाहिए ।  लेख के विषय प्रासंगिक हों क्योंकि पत्रिका का स्वरूप गंभीर और स्थाई होता है । 

             विद्या भारती दिल्ली प्रांत के संगठन मंत्री व प्रचार विभाग की केंद्रीय टोली के सदस्य रवि कुमार ने पत्रिका की डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपस्थिति और कंटेंट ऑडिट के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।  उन्होंने विशेष रूप से पत्रिकाओं के पी.डी.एफ. फॉर्मेट, ई-पेपर, सॉल्यूशन फिलिप वर्जन प्लगिन, वेवसाइट पर पी.डी.एफ., ब्लॉग और संस्कार की चर्चा की, इसके साथ ही कंटेंट ऑडिट की आवश्यकता, कंटेंट ऑडिट में ध्यान रखने योग्य बातों और कंटेंट ऑडिट के तरीकों की जानकारी दी ।         .          कार्यशाला के समापन अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से प्रकाशित विद्या भारती की पत्रिकाओं के आये सम्पादकों , क्षेत्र प्रचार प्रमुखों, प्रान्त प्रचार प्रमुखों तथा अन्य सभी गणमान्य बन्धुओं का विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रकाशवीर ने आभार व्यक्त किया ।  इस अवसर पर विद्यालय कि प्रबन्ध समिति एवं समस्त स्टाफ का विशेष सहयोग रहा ।