संस्कार, गुणवत्ता और अध्यात्म का संगम होना चाहिए शिक्षा
शिक्षा में संस्कार, गुणवत्ता और अध्यात्म का संगम होना चाहिए. विद्या भारती की साधारण सभा (सर्वोच्च सभा) के दुसरे दिन इसी विषय पर मंथन किया गया. देशभर में चल रहे चयनित शैक्षिक प्रयोगो को पॉवरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से लोगो के सम्मुख रखा गया. शैक्षिक प्रयोगो की प्रस्तुति के बाद विद्याभारती में चल रहे शैक्षिक विकास के विषयों जैसे योग, खेल, संगीत, ग्रामीण शिक्षा आदि का वार्षिक प्रतिवेदन भी बताया गया.
खेलकूद में सहभागिता बढ़ी
मुखतेज सिंह बदेशा ने कहा कि बीते सत्र की अपेक्षा इस सत्र में खेलकूद में सहभागिता बढ़ी है. स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस जी एफ आई) में सफल हुए खिलाड़ीयों की संख्या 322 रही. गौरतलब है कि एस जी एफ आई ने विद्या भारती को एक राज्य के रूप में मान्यता दी है. इस वर्ष के 44 आयोजनो में सहभागिता के आधार पर विद्याभारती को इस साल महात्मा गांधी स्वच्छ्ता पुरस्कार प्रदान किया गया.
आकर्षण का केंद्र बनी गणित की दीवार
दिनभर विभिन्न समूहोंं में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चर्चा हुई. परिसर में बनाई गई गणित की दीवार पूरे देश से आए प्रतिनिधियों के लिए आकर्षण का विषय बनी रही. इस गणित की दीवार में गणित के सूत्रों की चित्रोंं के जरिए सरलीकरण किया गया था. इसी प्रकार विज्ञान मण्डप में प्रयोगात्मक विधि से विज्ञान के सूत्रों और सिद्धांतों का सरल रूप मे विद्यार्थी कैसे सीख सकते हैं इसका प्रदर्शन स्वयं विद्यार्थियों ने किया था.
मैहर वाद्यवृन्द की प्रस्तुति
विद्या भारती साधारण सभा की बैठक में जहां जाने-माने मैहर वाद्यवृंद ने जल तरंग की प्रस्तुति दी वही राष्ट्रगीत के सुमधुर गोतों में सरस्वती विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने मनुहारी प्रस्तुतियां दी.