शिशु वाटिका ऐसी हो जहां बच्चों पर नही हो बस्ते का बोझ
विद्या भारती की साधारण सभा के तीसरे और समापन सत्र में मार्गदर्शन करते हुये राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी के कहा कि घर प्रथम विद्यालय है और शिशु का प्रथम शिक्षण अभिभावक द्वारा प्रारंभ होना चाहिये. उन्होने कहा कि देश में ऐसी शिशु वाटिकायें नमूना रूप में खड़ी होनी चाहिये जहां बस्ते का बोझ न हो. परीक्षा मूल्यांकन का दबाव अभिभावकों पर न हो, व सर्वांगीण विकास की दृष्टि से समुचित व्यवस्था हो. अपने सफल प्रयोगों से समाज में व्यवस्था हेतु साहित्यक सृजन हो. उन्होंने बताया कि कक्षा 1 से 12 के विद्यार्थियों के लिये समाज बोध व मानवीय संवेदना जागृति हेतु विभिन्न प्रयोगों की रचना आवश्यक है. देश की वर्तमान परिस्थितियों के सम्बंध मे संघ के सह सरकार्यवाह श्री सोनी ने कहा कि देश को तोड़ने के अनेक षडयंत्र अपने चरम पर हैं, ऐसी स्थिति में सामाजिक सद्भाव बना रहे व सांस्कृतिक मूल्य जीवित और संरक्षित रहें इसके लिये विशेष प्रयास की आवश्यकता है.
ये रहे मौजूद
इस दौरान राष्ट्रीय सरंक्षक विद्याभारती ब्रह्मदेव शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष विद्या भारती डॉ. गोविंद प्रसाद शर्मा, राष्ट्रीय महामंत्री विद्या भारती डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री विद्या भारती काशीपति आदि उपस्थित रहे.
साधारण सभा का हुआ समापन
सरस्वती विद्यापीठ उतैली में आयोजित विद्या भारती के अखिल भारतीय साधारण सभा का समापन रविवार को हुआ. तीसरे और अंतिम दिन शिक्षा क्षेत्र में नये व आधुनिक प्रयोगों पर विचार विमर्श किया गया. शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की महत्ता को ध्यान में रखते हुये भोपाल से पूरे देश के लिये विद्या भारती ई-पाठशाला का प्रकल्प चलाया जा रहा है. ई-पाठशाला की जानकारी देते हुए राकेश शर्मा ने बताया कि ई-पाठशाला के माध्यम से आचार्यों को कक्षा शिक्षण के लिये सहायक सामग्री के रूप में कंटेंट व वीडियो उपलब्ध हो पाएंगे. जिससे कक्षा शिक्षण सरल व प्रभावी हो सकेगा. साथ ही विद्यालय स्मार्ट स्कूल की ओर अग्रसर होगा.
स्कूली शिक्षा में शामिल हो कौशल विकास
स्कूली शिक्षा में कौशल विकास विषय पर बोलते हुए रोहित द्विवेदी ने बताया कि भविष्य में तकनीक जिस दिशा में आगे जा रही है उसी अनुरूप में हमें सोचना होगा और स्कूले शिक्षा में कौशल विकास की योजना करनी होगी. यदि आज नही सोचेंगे और योजना व क्रियान्वन नही करेंगे तो विश्व के साथ चल नही पायेंगे.