Saraswati Vidya Mandirs have a big contribution in the reconstruction of Odisha: Dharmendra Pradhan

Saraswati Vidya Mandirs have a big contribution in the reconstruction of Odisha: Dharmendra Pradhan

ओडिशा के पुनर्निर्माण में सरस्वती विद्या मंदिरों का बड़ा योगदान : धर्मेंद्र प्रधान

विद्या भारती के प्रादेशिक प्रधानाचार्य सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल हुए।

भारतीय पद्धति और मूल्य आधारित व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा आम जनता को शिक्षित करने के साथ-साथ नयी पीढ़ी के निर्माण में विद्या भारती और शिक्षा विकास समिति, ओडिशा द्वारा संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिरों की भूमिका अतुलनीय है। आगामी दिनों में भी ओडिशा के पुनर्निर्माण में सरस्वती विद्या मंदिरों की बड़ी भूमिका होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कटक जिले के गतिरौतपटना स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में विद्या भारती और शिक्षा विकास समिति द्वारा आयोजित प्रादेशिक प्रधानाचार्य सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे।

ओडिशा में सरस्वती शिशु मंदिर के विकास के लिए काम कर रही शिक्षा विकास समिति

श्री प्रधान ने कहा कि पहले हमारे देश को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक महापुरुषों ने संघर्ष किया और बलिदान दिया। बाद में समाज की सतत स्वतंत्रता बनाये रखने के लिए अच्छे नागरिकों का निर्माण आवश्यक समझा गया। इसी लक्ष्य को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले सौ वर्षों से राष्ट्र कल्याण में समर्पित भाव से व्यक्ति निर्माण में लगा है। इसी विचार की परिणति के रूप में विद्या भारती एक सफल संस्था के रूप में उभर कर सामने आयी है। इसी परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर विगत लगभग 75 वर्षों से विद्या भारती और ओडिशा में शिक्षा विकास समिति पिछले 50 वर्षों से सरस्वती शिशु विद्या मंदिरों के विकास के लिए काम कर रही हैं। इन संस्थानों के प्रधानाचार्यों के विचार और संस्कृति के कारण शिशु विद्या मंदिर आज शिक्षा के मंदिर जैसे प्रतीत हो रहे हैं।

भारत को गुलाम बनाये रखने के लिए टीबी मैकाले ने बनायी थी शिक्षा नीति

श्री प्रधान ने कहा कि शिशु मंदिर ओडिशा के शिक्षा विभाग के स्पंदन की तरह हैं। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के छात्र-छात्राएं दसवीं बोर्ड परीक्षा समेत विभिन्न प्रतियोगी व मेधा परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, जो अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भारतीय छात्रों को संस्कारी और स्वाभिमानी बनाने में सरस्वती विद्या मंदिर एक माइक्रोस्कोप की तरह कार्य करेगा। श्री प्रधान ने कहा कि टीबी मैकाले द्वारा भारत में जो शिक्षा नीति बनायी गयी थी, वह भारत को नीचा दिखाने की एक सोची-समझी प्रक्रिया थी। भारत को मानसिक रूप से गुलाम बनाये रखने के लिए उन्होंने यह नीति लागू की थी। इसके विकल्प के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लायी गयी है, जिसका उद्देश्य मैकाले की गुलामी वाली मानसिकता को बदलकर भारत की स्वाधीन मानसिकता को विकसित करना है। विद्या भारती के आदर्शों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अपनाया गया है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र में ओडिशा सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है। सरस्वती विद्या मंदिरों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक शिक्षा भी दी जाती है। इन संस्थानों में मूलतः, हिंदी, मातृभाषा, अंग्रेजी और संस्कृत चार भाषाओं में शिक्षा प्रदान की जाती है। हालांकि, राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाये, तभी बच्चे आगे बढ़ सकेंगे, क्योंकि मातृभाषा में पढ़ाई करने से ही छात्रों में बौद्धिक विकास, आलोचनात्मक सोच और अनुसंधान की क्षमता में वृद्धि होती है।

ज्ञान के विकास को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जायेगा

श्री प्रधान ने बताया कि भविष्य में चैटजीपीटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उपकरणों पर विशेष जोर दिया जायेगा और ज्ञान के विकास को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे टूल्स अत्यंत प्रभावशाली बन चुके हैं। भारत के छात्रों और शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित करने का उचित समय आ चुका है। वर्तमान बजट में 500 करोड़ रुपये की लागत से शिक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की योजना बनायी गयी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग भारत के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पाठ्यक्रम से बेहतर ढंग से जोड़ने और शिक्षकों को कला, साहित्य, ज्ञान और आधुनिक विज्ञान से जोड़ने में किया जायेगा। राज्यों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान भी संभव हो सके, इसके लिए योजनाएं बनायी जायेंगी। इसलिए सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विशेष बल दे रही है।

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