Vidya Bharati Sadharan Sabha 2025

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विद्या भारती की साधारण सभा

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की साधारण सभा संस्था की सर्वोच्च नीति निर्धारण एवं मार्गदर्शक इकाई है। इसमें देशभर के क्षेत्रीय और प्रांतीय प्रतिनिधि सम्मिलित होते हैं। यह सभा शैक्षिक दिशा, संगठनात्मक नीति, और भावी योजनाओं का निर्धारण करती है। यह सभा राष्ट्र निर्माण हेतु शिक्षा को संस्कारयुक्त और भारतीय दृष्टिकोण से युक्त बनाने हेतु कार्य करती है।

 संघटन की आत्मा, शिक्षा का प्रहरी – साधारण सभा 

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विद्या भारती की वार्षिक साधारण सभा का भव्य शुभारंभ राजगीर की पुण्यभूमि पर

राजगीर, बिहार की पावन धरती पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की वार्षिक साधारण सभा का शुभारंभ गरिमामय वातावरण में हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी एवं विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दुसि रामकृष्ण राव जी ने दीप प्रज्वलन कर इस महत्त्वपूर्ण बैठक का औपचारिक उद्घाटन किया।

इस सभा में देशभर से पधारे 325 से अधिक समर्पित कार्यकर्ता सम्मिलित हुए , जो विद्या भारती के शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण को लेकर तीन दिनों तक गहन विचार-मंथन किया । 

यह साधारण सभा केवल एक बैठक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प का केंद्र है, जहाँ अगले वर्षों की शिक्षा नीति, संगठनात्मक दिशा, नवाचार, और सेवा गतिविधियों पर विस्तृत चर्चा कर राष्ट्र निर्माण के लिए सशक्त कार्ययोजना तैयार की ।

राजगीर जैसे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थल पर यह सभा, परंपरा और प्रगति के अद्भुत समन्वय को दर्शाती है।

शिक्षा के माध्यम से संस्कारयुक्त, आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में यह साधारण सभा एक मील का पत्थर सिद्ध हुई ।

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शिशु वाटिका एवं डिजिटल प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ

राजगीर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज की प्रेरणा से विद्या भारती द्वारा आयोजित शिशु वाटिका एवं डिजिटल प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन हुआ।

मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण गोपाल जी (सह सरकार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) एवं डॉ. रामकृष्ण जी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, विद्या भारती) की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

इस अवसर पर शिशु वाटिका में नन्हें-मुन्हें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं रचनात्मक विकास को ध्यान में रखकर गतिविधियाँ प्रस्तुत की गईं, वहीं डिजिटल प्रदर्शनी में विद्या भारती की 12 व्यवस्थाओं के अंतर्गत शैक्षणिक, सांस्कृतिक और तकनीकी विषयों पर आधारित मॉडलों, पोस्टरों और प्रस्तुतियों ने सभी को आकर्षित किया।

डिजिटल माध्यम से छात्रों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान एवं समाजोपयोगी विषयों की जानकारी भी प्रदान की गई।

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समरसता का अनुपम संगम: साधारण सभा का द्वितीय दिवस बना सामाजिक एकता का उत्सव

स्थान: राजगीर, बिहार

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की वार्षिक साधारण सभा का दूसरा दिन “समरसता और सेवा” के अद्वितीय भाव से सराबोर रहा।

इस दिन का सबसे प्रेरणादायी दृश्य तब देखने को मिला जब सेवा बस्तियों में संचालित संस्कार केंद्रों की माताएं और बच्चे, अपनी श्रद्धा, आत्मीयता और अपनत्व के साथ आयोजन स्थल पर पहुँचे। उन्होंने अपने हाथों से बनाए रोटियाँ, सब्जियाँ और पारंपरिक व्यंजन देशभर से पधारे अतिथियों के लिए प्रेमपूर्वक अर्पित किए।

इसके पश्चात्, विद्या भारती की गरिमामयी संगठनात्मक परंपरा के अनुसार, उन्हीं माताओं को सम्मानपूर्वक समरसता भोज में बैठाकर भोजन कराया गया। यह दृश्य न केवल सामाजिक समरसता की जीवंत मिसाल बना, बल्कि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करता प्रतीत हुआ।

पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर, हसनपुर द्वारा राजगीर क्षेत्र में 30 से अधिक संस्कार केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा, संस्कार और आत्मनिर्भरता की दिशा में तैयार किया जा रहा है।

विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री अवनीश भटनागर जी ने बताया कि देशभर में लगभग 4000 संस्कार केंद्र संचालित हो रहे हैं, जहाँ पंचपदी शिक्षण पद्धति — अधिति, बोध, अभ्यास, प्रयोग और प्रसार के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है।

सेवा प्रमुख श्री परमेश्वर कुमार जी के अनुसार, आज के समरसता भोज में 11 गांवों की 109 माताएं सहभागी बनीं — यह न केवल सामाजिक सहयोग था, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त रूप में दर्शाता है।

यह दिन साधारण सभा के सभी प्रतिनिधियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया — जहाँ सेवा, सम्मान और समरसता एक साथ पथ दिखा रहे थे।

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